तापमान में अचानक बदलाव : फसलों पर तनाव और उसका प्रबंधन
सर्दियों में दिन और रात के तापमान में बड़ा अंतर होता है। दिन का तापमान 28–30°C और रात का 7–8°C तक गिर रहा है, जिससे फसलों में फिजियोलॉजिकल स्ट्रेस बढ़ता है.
तापमान के उतार–चढ़ाव का फसलों पर प्रभाव
दिन में वाष्पोत्सर्जन बढ़ता है। रात में स्टोमाटा बंद हो जाते हैं, कोशिकाओं का द्रव गाढ़ा होता है और ऊतकों में सूक्ष्म तनाव बढ़ता है। इससे वृद्धि धीमी होती है, फल सेटिंग कम होती है और फलों पर हल्की दरारें आती हैं।
प्रबंधन उपाय
1. बायोस्टिमुलेंट का प्रयोग
अमिनो एसिड, ह्यूमिक–फुल्विक एसिड और सी-वीड तनाव सहनशक्ति बढ़ाते हैं।
2. कैल्शियम + बोरॉन
कोशिका भित्ती मजबूत होती है और फलों की क्रैकिंग कम होती है।
3. पोटाशियम प्रबंधन
पानी के नियमन में सुधार होता है और तापमान के अंतर का प्रभाव कम होता है।
4. जिंक और मैंगनीज
एंजाइम गतिविधि को ठंड में भी सक्रिय रखते हैं।
5. छिड़काव का सही समय
सुबह या शाम को किया गया छिड़काव अधिक प्रभावी होता है।
6. मल्चिंग
मिट्टी का तापमान स्थिर रखती है और नमी संरक्षित करती है।
7. सिंचाई प्रबंधन
ठंडी रातों से पहले हल्की सिंचाई जड़ों को गर्माहट देती है।