भारत में एवोकाडो की खेती: किसानों के लिए लाभदायक मार्गदर्शिका
एवोकाडो, जिसे बटर फ्रूट भी कहा जाता है, भारतीय किसानों के लिए एक लाभदायक फसल के रूप में उभर रहा है। इसके पोषक गुण और शहरों में बढ़ती मांग इसे व्यावसायिक खेती के लिए एक उत्तम विकल्प बनाते हैं।
जलवायु और मिट्टी की आवश्यकता
एवोकाडो उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अच्छी तरह उगता है। आदर्श तापमान 15°C से 30°C के बीच होता है। यह फसल अच्छी जलनिकासी वाली दोमट मिट्टी में पनपती है, जिसका pH 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए। अधिक वर्षा वाले या जलभराव वाले क्षेत्रों से बचना चाहिए।
भारत में लोकप्रिय किस्में
हैस (Hass) किस्म सबसे अधिक पसंद की जाती है क्योंकि इसकी शेल्फ लाइफ लंबी होती है और इसका निर्यात भी किया जाता है। अन्य उपयुक्त किस्मों में फुएर्ते (Fuerte), पिंकरटन (Pinkerton) और एटिंगर (Ettinger) शामिल हैं।
रोपण और प्रबंधन
अच्छी वृद्धि और वायु संचार के लिए पौधों के बीच 6 मीटर × 6 मीटर की दूरी रखें। फूल आने और फल बनने के समय नियमित सिंचाई आवश्यक है। संतुलित उर्वरक के साथ जिंक और बोरॉन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों का उपयोग करें ताकि उपज बेहतर हो।
पैदावार और आमदनी की संभावनाएं
एवोकाडो के पेड़ 3 से 4 वर्षों में फल देना शुरू कर देते हैं। एक परिपक्व पेड़ से हर साल 200 से 300 फल प्राप्त हो सकते हैं। महानगरों में बढ़ती मांग और प्रीमियम कीमतों के चलते, एवोकाडो की खेती किसानों के लिए अच्छी आमदनी का स्रोत बन सकती है।