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  • मक्का में जिंक की कमी: पहचान और समाधान

    मक्का में जिंक की कमी: पहचान और समाधान

    Posted on : 07 Jul 2025 By : Agri Search (India) Pvt. Ltd

    मक्का में जिंक की कमी: पहचान और समाधान

    जिंक मक्का की वृद्धि के लिए एक आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व है। यह एंजाइम सक्रियण, प्रोटीन संश्लेषण और हार्मोन विनियमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी थोड़ी सी भी कमी पौधों के विकास और अंतिम उत्पादन पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है।

    मक्का में जिंक की कमी के लक्षण:

    • रूका हुआ विकास – पौधों की ऊँचाई कम होती है और गांठों के बीच की दूरी छोटी हो जाती है।

    • पीलापन (क्लोरोसिस) – नई पत्तियों की नसों के बीच पीला पड़ना (इंटरवेइनल क्लोरोसिस) दिखाई देता है।

    • सफेद पट्टियाँ – नई पत्तियों की मुख्य शिरा के दोनों ओर चौड़ी सफेद से लेकर हल्की पट्टियाँ बन सकती हैं।

    • फसल पकने में देरी – फूल आने और दाना भरने की अवस्था तक पहुँचने में अधिक समय लगता है।

    • जड़ों का खराब विकास – कमजोर जड़ें पोषक तत्वों का अवशोषण और कम कर देती हैं।

    कारण:

    • मिट्टी का pH अधिक होना (क्षारीय मिट्टियाँ)

    • रेतीली या चूनेदार मिट्टियाँ जिनमें जैविक पदार्थ कम हो

    • लगातार जिंक के बिना अधिक फॉस्फोरस युक्त उर्वरकों का प्रयोग

    • पानी भराव वाली या सख्त (कम्पैक्ट) मिट्टियाँ

    प्रबंधन के उपाय:

    • जिंक उर्वरकों का उपयोग करें – जिंक सल्फेट (ZnSO₄) 10–25 किग्रा/हेक्टेयर की दर से बेसल या प्रारंभिक अवस्था में 0.5% ZnSO₄ का पत्तियों पर छिड़काव करें।

    • संतुलित पोषण दें – फॉस्फोरस का अत्यधिक उपयोग न करें क्योंकि यह जिंक को अवशोषित होने से रोक सकता है। मिट्टी में पोषक तत्वों का संतुलन बनाए रखें।

    • जैविक पदार्थ मिलाएँ – जिंक की उपलब्धता बढ़ाने के लिए खाद या गोबर की खाद मिलाएँ।

    • बीजोपचार करें – बीज को जिंक युक्त उत्पादों से उपचारित करें ताकि प्रारंभिक अवस्था में सुरक्षा मिल सके।

     

    जिंक की कमी समय पर पहचानने और प्रबंधन करने पर पूरी तरह से नियंत्रित की जा सकती है। समय पर किया गया उपाय न केवल फसल के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बल्कि मक्का की उपज और दाने की गुणवत्ता में भी सुधार करता है।