जाइलम (Xylem) : फसल का जीवनवाहक तंत्र
फसल के शरीर में पानी और पोषक तत्वों को सही समय पर सही स्थान तक पहुँचाने वाली सबसे महत्वपूर्ण वाहक प्रणाली जाइलम (Xylem) है। जाइलम के बिना फसल का खड़ा रहना, बढ़ना और उत्पादन देना संभव नहीं है। इसलिए जाइलम को फसल की जीवनरेखा कहा जाता है।
जाइलम की संरचना
जाइलम एक जटिल ऊतक प्रणाली है जिसमें ट्रैकिड्स, वेसल्स, जाइलम पैरेंकाइमा और जाइलम फाइबर्स शामिल होते हैं। ये सभी मिलकर जड़ों से तना, शाखाओं, पत्तियों और फलों तक पानी और पोषक तत्वों का निरंतर प्रवाह बनाए रखते हैं।
जाइलम के मुख्य कार्य
जाइलम का प्रमुख कार्य जड़ों द्वारा अवशोषित पानी और खनिज पोषक तत्वों को पौधे के ऊपरी भागों तक पहुँचाना है। कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम और बोरॉन जैसे तत्व जाइलम के माध्यम से ही परिवहन होते हैं। यह कोशिकाओं में टर्गर प्रेशर बनाए रखता है, जिससे फसल ताज़ा और मजबूत बनी रहती है।
प्रकाश संश्लेषण और तापमान नियंत्रण
पत्तियों तक पर्याप्त पानी पहुँचने से प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया प्रभावी होती है। जाइलम और ट्रांसपिरेशन प्रक्रिया के कारण फसल का प्राकृतिक एयर कूलिंग होता है, जिससे तापमान संतुलित रहता है।
जाइलम की अतिरिक्त भूमिकाएँ
जाइलम पौधे को यांत्रिक सहारा देता है, तने को मजबूत बनाता है, सूखे की स्थिति में पानी के कुशल उपयोग में मदद करता है और फलों के आकार, रस और वजन बढ़ाने में योगदान देता है।
जाइलम ब्लॉकेज और विल्ट रोग
जब जाइलम अवरुद्ध हो जाता है तो पानी का प्रवाह रुक जाता है और फसल मुरझाने लगती है। इस स्थिति को विल्ट या मर कहा जाता है। फ्यूजेरियम जैसे रोगों में जाइलम ब्लॉकेज मुख्य कारण होता है।
किसानों के लिए संदेश
मजबूत जाइलम का मतलब मजबूत फसल है। इसलिए जड़ों का स्वास्थ्य, संतुलित पोषण, सही सिंचाई प्रबंधन और बायोस्टिमुलेंट्स व अमीनो एसिड का उपयोग जाइलम को सक्रिय और स्वस्थ बनाए रखने के लिए आवश्यक है।