फूलगोभी में सफेद फफूंदी (स्क्लेरोटिनिया रोग) – पहचान और प्रबंधन
फूलगोभी एक महत्वपूर्ण सब्जी फसल है, लेकिन यह कई फंगल रोगों से प्रभावित होती है। इनमें से एक सबसे सामान्य और नुकसानदायक रोग है सफेद फफूंदी, जिसे स्क्लेरोटिनिया रोग भी कहा जाता है, जो फंगस Sclerotinia sclerotiorum के कारण होता है।
लक्षण
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फूलगोभी के कर्ड (फूल का हिस्सा) पर पानी से भीगे हुए, नरम, भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं।
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संक्रमित हिस्से पर सफेद, सूती जैसे फफूंदी की वृद्धि होती है।
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रोग के बढ़ने पर कर्ड के ऊपर या अंदर छोटे काले कण (स्क्लेरोटिया) बन सकते हैं।
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प्रभावित हिस्सा गल जाता है, सड़ जाता है और इसकी बाजार में कीमत कम हो जाती है।
अनुकूल परिस्थितियाँ
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ठंडा और नमी वाला मौसम (15 से 25 डिग्री सेल्सियस)।
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फसल के नीचे खराब वेंटिलेशन यानी हवा का संचार कम होना।
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बहुत ज्यादा पानी देना या पौधे की सतह पर लगातार नमी बनी रहना।
प्रबंधन के उपाय
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परंपरागत नियंत्रण
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पौधों के बीच उचित दूरी रखें ताकि हवा सही से चले।
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ऊपर से पानी देने (ओवरहेड इरिगेशन) और अधिक नमी से बचें।
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फसल चक्र में ऐसे फसलों को शामिल करें जो इस रोग के मेज़बान नहीं हैं, जैसे कि अनाज, ताकि रोग चक्र टूटे।
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रासायनिक नियंत्रण
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निम्नलिखित कवकनाशी दवाओं का छिड़काव करें:
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कार्बेन्डाजिम 50% डब्ल्यूपी, 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर।
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बॉस्कालिड + पायराक्लोस्ट्रोबिन (लेबल निर्देशानुसार)।
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थायोफेनेट-मेथिल आधारित उत्पाद।
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पहली बार छिड़काव संक्रमण के शुरुआती लक्षण दिखते ही करें और जरूरत अनुसार, खासकर अनुकूल मौसम में दोहराएं।
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सफाई
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संक्रमित कर्ड और पौधे के हिस्सों को तोड़कर जला दें या नष्ट कर दें।
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ऐसे खेतों में फूलगोभी की खेती से बचें जहां पहले यह रोग हो चुका हो।
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स्वस्थ पौधे लगाएं और खेत में जल निकासी का उचित इंतजाम रखें।