फूलगोभी में व्हिपटेल रोग: कारण, लक्षण और प्रबंधन
परिचय
व्हिपटेल फूलगोभी की एक सामान्य शारीरिक विकृति है, जो फूल (कर्ड) के विकास और उपज को गंभीर रूप से प्रभावित करती है। इसके कारणों को समझना और सही प्रबंधन करना सफल फूलगोभी उत्पादन के लिए आवश्यक है।
1. व्हिपटेल क्या है?
व्हिपटेल एक पोषक तत्व की कमी से होने वाला विकार है, जिसमें पत्तियाँ संकरी, टेढ़ी-मेढ़ी और पट्टीनुमा हो जाती हैं तथा फूल का गठन सही ढंग से नहीं हो पाता।
2. मुख्य कारण
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मोलिब्डेनम की कमी व्हिपटेल का प्रमुख कारण है।
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यह समस्या आमतौर पर अम्लीय मृदाओं (pH 5.5 से कम) में होती है, जहाँ मोलिब्डेनम उपलब्धता कम हो जाती है।
3. व्हिपटेल के लक्षण
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नई पत्तियाँ बहुत पतली, पट्टीनुमा और विकृत हो जाती हैं।
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पत्तियों में लैमिना (पत्ती का मुख्य भाग) नहीं बनता।
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गंभीर स्थिति में पौधे फूल (कर्ड) नहीं बना पाते।
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पौधे की वृद्धि रुक जाती है और उपज में भारी गिरावट आती है।
4. अनुकूल परिस्थितियाँ
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अम्लीय और रेतीली मिट्टी।
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अधिक वर्षा वाले क्षेत्र (जहाँ मोलिब्डेनम बहकर चला जाता है)।
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असंतुलित उर्वरक उपयोग।
5. प्रबंधन उपाय
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मिट्टी का pH सुधारें: चूना (लाइम) डालकर मिट्टी का pH 6.5–7.0 तक लाएँ।
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मोलिब्डेनम का प्रयोग:
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सोडियम मोलिब्डेट या अमोनियम मोलिब्डेट का 0.1% फोलियर स्प्रे करें।
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बुआई से पहले मिट्टी में 1–1.5 किग्रा/हेक्टेयर मोलिब्डेनम मिलाएँ।
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संतुलित उर्वरक उपयोग: मिट्टी परीक्षण के आधार पर सभी सूक्ष्म पोषक तत्वों का संतुलित प्रयोग करें।
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अत्यधिक सिंचाई से बचें: हल्की मिट्टी में मोलिब्डेनम का बहाव रोकें।
6. रोकथाम के उपाय
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नियमित रूप से मिट्टी की pH और सूक्ष्म पोषक तत्वों की जांच करें।
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उपलब्ध हो तो मोलिब्डेनम कोटेड उर्वरकों का उपयोग करें।
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जहाँ संभव हो, रोग-प्रतिरोधक या सहनशील किस्मों का चयन करें।