वर्मीवॉश: फसल की सेहत के लिए एक प्राकृतिक टॉनिक
वर्मीवॉश क्या है?
वर्मीवॉश एक तरल पदार्थ है जो वर्मीकम्पोस्ट यूनिट से प्राप्त किया जाता है। यह गाय का गोबर, जैविक अपशिष्ट और केंचुओं के मिश्रण से बनता है। जब इस मिश्रण पर पानी डाला जाता है और उसे नीचे से एकत्र किया जाता है, तो जो तरल निकलता है, उसमें होते हैं:
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उपयोगी एंजाइम और सूक्ष्मजीव
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प्राकृतिक पौधों के हार्मोन
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थोड़ी मात्रा में पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, आयरन और जिंक
यह तरल जीवंत होता है और फसलों की वृद्धि में मदद करता है साथ ही मिट्टी की सेहत भी सुधारता है।
खेती में वर्मीवॉश के लाभ
1. पौधों की बढ़वार में सुधार
वर्मीवॉश का छिड़काव करने से पौधे हरे-भरे और जल्दी बढ़ने लगते हैं। जड़ों की वृद्धि भी बेहतर होती है।
2. फूल और फल बनने में मदद
केला, मिर्च, टमाटर, अनार जैसी फसलों में अच्छे परिणाम मिलते हैं जब वर्मीवॉश नियमित रूप से प्रयोग किया जाए।
3. रोगों से बचाव
वर्मीवॉश पौधों को मजबूत बनाता है जिससे वे फंगस और बैक्टीरिया जैसे रोगों से खुद लड़ सकते हैं।
4. प्राकृतिक कीट प्रतिकारक
अगर इसे नीम अर्क या लहसुन पानी के साथ मिलाकर छिड़का जाए, तो यह कई कीटों को दूर रखता है।
5. मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार
वर्मीवॉश मिट्टी में अच्छे जीवाणुओं की संख्या बढ़ाता है, जिससे पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ती है।
वर्मीवॉश का उपयोग कैसे करें
फसल पर छिड़काव के लिए:
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1 लीटर वर्मीवॉश को 10 लीटर साफ पानी में मिलाएं
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पत्तों पर सुबह या शाम को छिड़काव करें
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हर 10 से 15 दिन में दोहराएं
मिट्टी में डालने के लिए:
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वर्मीवॉश को पानी में मिलाकर पौधों की जड़ों के पास डालें
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इससे जड़ों और मिट्टी की सेहत में सुधार होता है
सुझाव: बेहतर परिणाम के लिए इसे पंचगव्य या केले के छिलकों के अर्क के साथ मिलाकर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
हर किसान को वर्मीवॉश क्यों अपनाना चाहिए
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यह कम लागत वाला और घर पर ही आसानी से बनने वाला उपाय है
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यह फसल की उपज और गुणवत्ता को बढ़ाता है
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यह रासायनिक खादों की जरूरत कम करता है
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यह मिट्टी को जीवित और उपजाऊ बनाता है
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यह जैविक और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देता है