कृषि में जल की कठोरता को समझना
जल की कठोरता खेती में जल की गुणवत्ता का एक महत्वपूर्ण पहलू है। इसका अर्थ है पानी में कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे खनिजों की मात्रा। जब इन खनिजों की मात्रा अधिक होती है, तो पानी "कठोर" कहलाता है, जो फसलों की सेहत, छिड़काव की प्रभावशीलता और सिंचाई प्रणाली पर असर डाल सकता है।
जल की कठोरता क्यों महत्वपूर्ण है
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उर्वरकों की कार्यक्षमता घटती है – कठोर पानी फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्वों के साथ अघुलनशील लवण बनाता है, जिससे पौधों द्वारा इन्हें अवशोषित करना मुश्किल होता है।
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स्प्रे की प्रभावशीलता कम हो जाती है – कीटनाशक और फफूंदनाशक जब कठोर पानी में मिलते हैं, तो उनकी क्षमता घट जाती है।
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सिंचाई लाइनों में रुकावट आती है – खनिज जमा होने से ड्रिप और स्प्रिंकलर प्रणाली जाम हो सकती है।
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मिट्टी का pH बदलता है – लंबे समय तक कठोर पानी का उपयोग मिट्टी की क्षारीयता (alkalinity) को बढ़ाता है, जिससे पोषक तत्वों की उपलब्धता कम हो जाती है।
कठोर पानी की पहचान और प्रबंधन कैसे करें
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सामान्य जल परीक्षण किट का उपयोग करें या पानी की जांच लैब में करवाएं।
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पाइप या टैंक पर सफेद परत जमा होना जल की कठोरता का संकेत हो सकता है।
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स्प्रे पानी में 1% यूरिया या अमोनियम सल्फेट मिलाएं ताकि कठोरता का असर कम हो।
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जल कंडीशनर या एसिडिफायर का उपयोग करें, जिससे पोषक तत्वों और रसायनों का अवशोषण बेहतर हो सके।
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सिंचाई प्रणाली की नियमित सफाई करें ताकि लवण जमा न हो।