Soil Without Life vs Living Soil
मिट्टी केवल धूल नहीं है — यह एक जीवित प्रणाली है जो सांस लेती है, खाती है और जीवन को सहारा देती है। लेकिन जब मिट्टी अपने जीवित घटक खो देती है, तो यह सिर्फ रेत, गाद और चिकनी मिट्टी का मिश्रण बन जाती है — यानी निर्जीव मिट्टी।
निर्जीव मिट्टी ऊपर से ठीक दिखाई दे सकती है, लेकिन अंदर उसमें सूक्ष्मजीव, जैविक पदार्थ और लाभकारी कवक (fungi) की कमी होती है। ऐसी मिट्टी पोषक तत्वों और पानी को प्रभावी रूप से रोक नहीं पाती। इस मिट्टी में उगने वाले पौधों की जड़ें कमजोर होती हैं, पौधे तनाव (stress) को सहन नहीं कर पाते, और खाद डालने के बाद भी उत्पादन अच्छा नहीं मिलता।
इसके विपरीत, जीवित मिट्टी सूक्ष्मजीवों, एंजाइमों और कार्बनिक कार्बन से भरपूर होती है। इसमें लाभकारी जीवाणु, कवक और केंचुए होते हैं जो अनुपलब्ध पोषक तत्वों को पौधों के लिए उपलब्ध रूप में बदलते हैं। ये जीव ह्यूमस बनाते हैं, मिट्टी में हवा का संचार सुधारते हैं और जड़ों को मजबूत बनाते हैं। जीवित मिट्टी एक प्राकृतिक कारखाने की तरह काम करती है जो लगातार पोषक तत्वों को पुनर्चक्रित करती है और पौधों को पोषण देती है।
जो किसान जीवित मिट्टी को बनाए रखते हैं — जैसे कि कंपोस्ट, फसल अवशेष, बायो-स्टिमुलेंट्स और सूक्ष्मजीव उत्पादों का उपयोग करके — उन्हें बेहतर उत्पादन, सुधरी हुई मिट्टी की बनावट और दीर्घकालिक उपजाऊपन का लाभ मिलता है।