खेती में पानी बचाने के लिए स्मार्ट सिंचाई तकनीकें
पानी खेती में सबसे महत्वपूर्ण संसाधनों में से एक है। लेकिन भारत के कई हिस्सों में पानी की कमी होती जा रही है। फसलों को प्रभावी ढंग से उगाने और पानी बचाने के लिए किसान अब स्मार्ट सिंचाई विधियों का उपयोग कर रहे हैं। ये तकनीकें न केवल पानी की बर्बादी को रोकती हैं, बल्कि फसल उत्पादन भी बढ़ाती हैं।
1. ड्रिप सिंचाई
ड्रिप सिंचाई में पानी बूंद-बूंद करके सीधे पौधों की जड़ों तक पहुँचाया जाता है। इससे वाष्पीकरण और पानी के बहाव में कमी आती है और पौधों को सही मात्रा में पानी मिलता है। यह तकनीक सब्जियों, फलों और बागवानी फसलों जैसे अंगूर, अनार और केले के लिए बहुत उपयोगी है।
2. स्प्रिंकलर सिंचाई
यह प्रणाली कृत्रिम वर्षा की तरह काम करती है। स्प्रिंकलर फसलों पर समान रूप से पानी छिड़कते हैं। यह अनाज, दालों और घास के मैदानों के लिए उपयुक्त है। पारंपरिक बाढ़ सिंचाई की तुलना में स्प्रिंकलर 30–50% तक पानी की बचत करते हैं।
3. सेंसर-आधारित सिंचाई
इस विधि में खेत में मिट्टी की नमी जांचने के लिए सेंसर लगाए जाते हैं। ये सेंसर बताते हैं कि मिट्टी को कितनी नमी की ज़रूरत है। इस डेटा के आधार पर फसलों को जरूरत के अनुसार ही पानी दिया जाता है। इससे अधिक सिंचाई से बचाव होता है और पानी व बिजली की बचत होती है।
4. स्वचालित टाइमर
टाइमर से जुड़ी सिंचाई प्रणालियों को इस तरह सेट किया जा सकता है कि वे निर्धारित समय पर पानी दें, जैसे कि रात के समय जब वाष्पीकरण कम होता है। इससे पानी का अधिक कुशल उपयोग होता है।
5. वर्षा जल संचयन और स्मार्ट भंडारण
खेतों में वर्षा जल को तालाबों या टैंकों में इकट्ठा करना और उसे स्मार्ट सिंचाई प्रणालियों के साथ जोड़ना साल भर पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करता है। इससे भूजल का अत्यधिक उपयोग भी रोका जा सकता है।