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  • केले में सिगाटोका रोग – संपूर्ण जानकारी

    केले में सिगाटोका रोग – संपूर्ण जानकारी

    Posted on : 18 Sep 2025 By : Agri Search (India) Pvt. Ltd

    केले में सिगाटोका रोग – संपूर्ण जानकारी

    केला एक महत्वपूर्ण फल फसल है, लेकिन इसका उत्पादन कई बार सिगाटोका रोग से प्रभावित होता है। यह पत्तियों पर लगने वाला एक फफूंदजन्य रोग है, जो उपज को काफी हद तक घटाता है और फलों की गुणवत्ता को कम करता है।

    सिगाटोका रोग क्या है?
    सिगाटोका रोग Mycosphaerella प्रजाति के फफूंद से होता है। यह केले की पत्तियों पर हमला करता है, जिससे प्रकाश संश्लेषण कम हो जाता है और फल के घ bunch छोटे तथा खराब गुणवत्ता वाले बनते हैं।

    सिगाटोका के प्रकार

    • यलो सिगाटोका (Mycosphaerella musicola) – पीली धारियाँ बनाता है, धीरे-धीरे फैलता है।

    • ब्लैक सिगाटोका (Mycosphaerella fijiensis) – अधिक आक्रामक, तेजी से फैलता है और गंभीर नुकसान करता है।

    मुख्य लक्षण

    • पत्तियों पर पीली या भूरे रंग की धारियाँ।

    • धब्बे बड़े होकर गहरे भूरे/काले हो जाते हैं, किनारे पर पीला घेऱा दिखाई देता है।

    • पत्तियाँ सूखकर भुरभुरी हो जाती हैं।

    • फल छोटे और जल्दी पकने वाले हो जाते हैं।

    रोग के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ

    • गर्म और आर्द्र जलवायु (20–30°C)।

    • लगातार वर्षा और ओस।

    • अधिक घनी बुआई और हवा का अभाव।

    • संक्रमित पत्तियाँ खेत में छोड़ देना।

    केला फसल पर प्रभाव

    • 30–50% उपज की हानि

    • छोटे और कम बिकाऊ फल।

    • जल्दी पकने से भंडारण क्षमता कम।

    • उत्पादन लागत में वृद्धि।

    सिगाटोका का प्रबंधन

    सांस्कृतिक उपाय

    • रोग प्रतिरोधी किस्मों की बुवाई।

    • पौधों के बीच उचित दूरी रखना।

    • संक्रमित पत्तियाँ समय पर हटाना।

    • खेत की सफाई और जल निकासी बनाए रखना।

    पोषण प्रबंधन

    • संतुलित उर्वरक देना, खासकर पोटाश और मैग्नीशियम।

    • जैव उत्तेजक और कार्बनिक खाद का उपयोग।

    जैविक और रासायनिक नियंत्रण

    • बेसिलस कंसोर्टिया (Bacillus subtilis, Bacillus amyloliquefaciens) फफूंद को दबाते हैं। ये एंटीफंगल पदार्थ बनाते हैं, पत्तियों पर सुरक्षा कवच तैयार करते हैं और पौधों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।

    • Agri Search Probez: यह वैज्ञानिक रूप से विकसित बेसिलस कंसोर्टिया पर आधारित उत्पाद है, जो सिगाटोका रोग को दबाता है, पौधे की रक्षा को मजबूत करता है और किसानों को अवशेष-मुक्त व टिकाऊ समाधान देता है।

    • फफूंदनाशक: अधिक रोग दबाव वाले क्षेत्रों में प्रणालीगत और संपर्क फफूंदनाशकों का फेरबदल कर छिड़काव करें। लंबे समय तक बेहतर परिणाम के लिए इन्हें प्रॉबेज़ जैसे जैविक उत्पादों के साथ मिलाकर उपयोग करें।