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  • मकई में परागण कैसे होता है?

    मकई में परागण कैसे होता है?

    Posted on : 03 Sep 2025 By : Agri Search (India) Pvt. Ltd

    मक्का में परागण

    मक्का में परागण एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें हवा के द्वारा परागकण (pollen) फूलों के पुंकेसर (tassel) से रेशों (silk) तक पहुँचते हैं। प्रत्येक रेशे पर परागकण गिरना ज़रूरी है ताकि दाना बन सके। यह प्रक्रिया सीधे फसल की उपज को प्रभावित करती है। आइए इसे चरण-दर-चरण समझते हैं:

    1. नर और मादा फूल
    मक्का के पौधे पर नर और मादा दोनों प्रकार के फूल होते हैं। ऊपर बने तसल (tassel) से परागकण बनते हैं, जबकि बगल में निकलने वाले भुट्टे पर रेशे (silk) रहते हैं। प्रत्येक रेशा एक बीजांड (ovule) से जुड़ा होता है, जो दाना बन सकता है।

    2. परागकण का उत्सर्जन
    तसल रोज़ाना सुबह और शाम को लाखों परागकण छोड़ता है। यह प्रक्रिया लगभग 5–8 दिनों तक चलती है। परागकण हल्के और सूखे होते हैं, इसलिए हवा से आसानी से उड़ जाते हैं।

    3. हवा द्वारा परागण
    हवा तसल से निकले परागकणों को रेशों तक पहुँचाती है। अधिकांश परागकण 10–15 मीटर के दायरे में गिरते हैं। इसलिए मक्का की खेती हमेशा गठ्ठों (blocks) में करनी चाहिए, न कि एकल कतारों में।

    4. रेशों का निकलना
    पोलन झड़ने की शुरुआत के 2–3 दिन बाद भुट्टे से रेशे निकलने लगते हैं। प्रत्येक रेशा 7–10 दिनों तक सक्रिय रहता है और उसकी सतह चिपचिपी होती है, जिससे परागकण आसानी से चिपक जाते हैं।

    5. रेशे पर अंकुरण
    जब परागकण रेशे पर गिरते हैं, तो वे अंकुरित होकर एक पराग नलिका (pollen tube) बनाते हैं। यह नलिका नीचे की ओर बढ़ती है और बीजांड तक पहुँचती है।

    6. निषेचन (fertilization)
    जब परागकण का नर कोश (male cell) बीजांड की अंड कोशिका (egg cell) से मिलता है, तो निषेचन होता है। इसके बाद एक दाना बनता है।

     

    7. दाने का निर्माण
    हर वह रेशा जिस पर परागकण पहुँचेगा और निषेचन होगा, वहाँ एक दाना बनेगा। अगर किसी रेशे पर परागकण नहीं पहुँचे, तो उस स्थान पर भुट्टे में खाली जगह रह जाएगी।