मशरूम की खेती: कम जगह, ज़्यादा मुनाफा
आधुनिक कृषि की दुनिया में मशरूम की खेती चुपचाप लेकिन मजबूती से अपनी जगह बना रही है। जो कभी सिर्फ एक शौक माना जाता था, वह अब कम ज़मीन, कम पूंजी और नवाचार की चाह रखने वालों के लिए एक गंभीर व्यवसायिक अवसर बनता जा रहा है।
तो आखिर क्यों किसान और कृषि-उद्यमी मशरूम की ओर आकर्षित हो रहे हैं?
1. कम निवेश, ज़्यादा मुनाफा
पारंपरिक फसलों के मुकाबले, जिन्हें बड़ी ज़मीन और ज़्यादा सिंचाई की ज़रूरत होती है, मशरूम छोटी जगहों में और खड़ी (वर्टिकल) पद्धति से उगाया जा सकता है, जैसे कि शेड, कमरे या बेसमेंट में। इसके लिए न ट्रैक्टर चाहिए और न ही रासायनिक खाद — सिर्फ एक साफ़ वातावरण, सही तापमान नियंत्रण और कृषि अपशिष्ट जैसे गेहूं या धान की पराली, या आरा मशीन की भूसी की ज़रूरत होती है।
आप ₹30,000–₹50,000 में छोटे स्तर पर शुरूआत कर सकते हैं और पहली फसल सिर्फ 3 से 4 हफ्तों में तैयार हो जाती है। अगर परिस्थिति सही हो, तो 100 वर्ग फुट की जगह में 30 से 50 किलो मशरूम प्रति चक्र उपजाई जा सकती है — जो पारंपरिक फसलों की तुलना में कहीं अधिक मुनाफ़ा देती है।
2. भारत में बढ़ती मांग
अब मशरूम कोई "विदेशी" चीज़ नहीं रह गई है। इसके स्वास्थ्यवर्धक गुणों के कारण — जैसे कि प्रोटीन, विटामिन B और D, एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइबर — मशरूम की मांग शहरों के साथ-साथ गाँवों में भी तेज़ी से बढ़ रही है। होटल, रेस्टोरेंट, सुपरमार्केट और घरेलू ग्राहक ताजे और गुणवत्तापूर्ण मशरूम की तलाश में रहते हैं।
बटन मशरूम, ऑयस्टर मशरूम और मिल्की मशरूम जैसी किस्में विशेष रूप से लोकप्रिय हैं और अच्छी कीमत पर बिकती हैं।
3. पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ खेती
मशरूम की खेती सर्कुलर फार्मिंग का एक बेहतरीन उदाहरण है। यह कृषि अपशिष्ट को एक मूल्यवान फसल में बदल देती है। मशरूम काटने के बाद बची हुई खाद (Spent Mushroom Substrate) को प्राकृतिक जैविक खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है या पशुओं को चारे के रूप में भी दिया जा सकता है। इससे अपशिष्ट कम होता है और मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ती है।
4. रोज़गार और आत्मनिर्भरता का साधन
मशरूम की खेती महिला स्वयं सहायता समूहों, ग्रामीण युवाओं, सेवानिवृत्त लोगों और विद्यार्थियों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। इसमें शारीरिक मेहनत कम लगती है, सीखना आसान है और स्व-रोज़गार व आय सृजन के लिए एक शानदार अवसर है।
शुरुआत के लिए क्या चाहिए?
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साफ़ और हवादार जगह (जैसे शेड या कमरा)
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मशरूम स्पॉन (विश्वसनीय स्रोत से)
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सब्सट्रेट सामग्री (जैसे गेहूं/धान की पराली, आरा मशीन की भूसी आदि)
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पानी और नमी का नियंत्रण
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बुनियादी प्रशिक्षण (ऑनलाइन या कृषि विभाग से उपलब्ध)
केवल थोड़े से प्रशिक्षण और सीमित निवेश से, आप साल भर में कई उत्पादन चक्र चला सकते हैं, खासतौर पर यदि आप नियंत्रित वातावरण में काम करें।