माइक्रोन्यूट्रिएंट्स: छोटे पोषक तत्व जो खेती में बड़ा बदलाव लाते हैं
खेती में ज्यादातर ध्यान बड़े पोषक तत्वों पर दिया जाता है जैसे यूरिया, डीएपी और पोटाश। ये ज़रूरी हैं, लेकिन पूरी कहानी यहीं खत्म नहीं होती। कई किसान सही मात्रा में एनपीके डालते हैं, फिर भी अच्छा उत्पादन नहीं मिल पाता। क्यों? एक ऐसा कारण जिसे अक्सर नज़रअंदाज़ किया जाता है—माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी।
माइक्रोन्यूट्रिएंट्स ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो पौधों को बहुत कम मात्रा में चाहिए होते हैं, लेकिन इनका काम बहुत अहम होता है। इनके बिना, अच्छी तरह खाद देने के बाद भी फसल पूरी ताकत से नहीं बढ़ पाती।
मुख्य माइक्रोन्यूट्रिएंट्स और उनकी भूमिका
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जिंक (Zinc): शुरुआती अवस्था में जड़ विकास और पौधे की ग्रोथ के लिए जरूरी
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आयरन (Iron): पत्तियों में हरियाली (क्लोरोफिल) बनाने में मदद करता है—कमी से पत्तियों के बीच पीली धारियाँ दिखती हैं
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बोरोन (Boron): फूल और फल बनने की प्रक्रिया में सबसे जरूरी
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मैंगनीज, कॉपर, मोलिब्डेनम, क्लोरीन: ये सभी पौधों की एंजाइम क्रियाओं, रोग प्रतिरोधक क्षमता और पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करते हैं
इनमें से हर एक की अपनी खास भूमिका होती है। अगर इन में से एक भी कमी हो जाए, तो पौधे की बढ़त रुक सकती है।
कमी को कैसे पहचानें
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पत्तियाँ पीली या हल्की होती जाती हैं, जबकि खाद दी गई हो
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फूल नहीं बनते या फल ठीक से विकसित नहीं होते
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जड़ें कमजोर होती हैं या कीट व रोग जल्दी लगते हैं
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आस-पास के खेतों की तुलना में फसल का विकास धीमा रहता है
ये संकेत बताते हैं कि केवल एनपीके डालना काफी नहीं है, कुछ और जरूरी है।
किसान क्या कर सकते हैं
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मिट्टी और पत्तियों की जांच (soil and leaf testing): इससे यह साफ़ पता चलता है कि आपकी मिट्टी में किस चीज की कमी है
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संतुलित माइक्रोन्यूट्रिएंट मिश्रण: एक ही तत्व पर निर्भर न रहें, पूरी तरह से बैलेंस्ड फॉर्मूलेशन का उपयोग करें
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जरूरी स्टेज पर फोलिएर स्प्रे (foliar spray): पत्तियों के माध्यम से पोषण जल्दी मिलता है
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कीलेटेड फॉर्म (chelated micronutrients): ये रूप पौधे में जल्दी और बेहतर तरीके से अवशोषित होते हैं
अंतिम बात
जो किसान सही समय पर माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का उपयोग करते हैं, उन्हें हरे-भरे पौधे, बेहतर फूल, समान आकार के फल और अधिक उपज देखने को मिलती है। इससे न सिर्फ उत्पादन बढ़ता है, बल्कि मिट्टी की सेहत भी लंबे समय तक बनी रहती है।