केले में Cucumber Mosaic Virus (CMV)
ककड़ी मोज़ेक वायरस (CMV) आमतौर पर सब्ज़ियों को प्रभावित करता है, लेकिन यह केले के पौधों को भी संक्रमित कर सकता है और चुपचाप उत्पादन और गुणवत्ता दोनों को घटा देता है।
यह वायरस मुख्य रूप से एफिड (चेपा) नामक छोटे कीटों के माध्यम से फैलता है, जो पौधों का रस चूसते हैं। एक बार जब केला पौधा संक्रमित हो जाता है, तो उस पर पीले धब्बे, पत्तों पर जाल-जैसे मोज़ेक पैटर्न और विकास में रुकावट जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। ऐसे पौधों में फल की साइज छोटी होती है और गुणवत्ता भी खराब होती है।
CMV के संक्रमण के सबसे आम स्रोत हैं:
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एफिड (चेपा)
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संक्रमित तलवे (सकर)
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खेत के आसपास मौजूद खरपतवार जो वायरस को अपने अंदर पालते हैं
चूंकि संक्रमण के बाद कोई इलाज नहीं है, इसलिए बचाव ही सबसे अच्छा उपाय है।
CMV से बचाव के उपाय:
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केवल स्वस्थ, वायरस-मुक्त तलवे या टिशू कल्चर पौधे ही लगाएं
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एफिड की शुरुआती अवस्था में ही प्रभावी कीटनाशकों से नियंत्रण करें
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संक्रमित पौधों को उखाड़कर नष्ट करें
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खेत को खरपतवार और वैकल्पिक होस्ट पौधों से साफ रखें
CMV का असर हमेशा तुरंत दिखाई नहीं देता, लेकिन इसका प्रभाव गंभीर हो सकता है। समय पर पहचान और अच्छी खेती की तकनीकें अपनाकर आप अपने केले की फसल को सुरक्षित रख सकते हैं।