मिट्टी – एक जीवित प्रयोगशाला
कृषि मिट्टी केवल धूल, रेत और गाद का मिश्रण नहीं है, बल्कि यह एक जीवित प्रयोगशाला है। इसमें मौजूद अरबों सूक्ष्मजीव पोषक तत्व चक्र, मिट्टी की उर्वरता और फसल स्वास्थ्य को नियंत्रित करते हैं।
मिट्टी के प्रत्येक कण में बैक्टीरिया, फफूंद और अन्य सूक्ष्मजीव सक्रिय रहते हैं। ये जैविक पदार्थों का अपघटन करते हैं, पोषक तत्वों को पौधों के लिए उपलब्ध बनाते हैं और जड़ों के साथ जैविक संपर्क बनाए रखते हैं।
मिट्टी को जीवित क्यों कहा जाता है?
सूक्ष्मजीव नाइट्रोजन स्थिरीकरण, फॉस्फोरस घुलनशीलता और रोग नियंत्रण जैसी प्रक्रियाओं में सहायक होते हैं। इसलिए मिट्टी केवल रसायन धारण करने वाला माध्यम नहीं, बल्कि एक सक्रिय जैविक प्रणाली है।
मिट्टी में जैविक पदार्थों का महत्व
जैविक खाद, कंपोस्ट और फसल अवशेष मिट्टी में मिलाने से सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ती है। इससे मिट्टी की संरचना सुधरती है और जड़ों की विकास क्षमता बढ़ती है।
मिट्टी स्वास्थ्य सुधारने के उपाय
हर 2–3 साल में मृदा परीक्षण कराना आवश्यक है। जैविक खाद और जैव उर्वरकों का नियमित उपयोग करें। मिट्टी को नम लेकिन हवादार रखें और अत्यधिक रासायनिक प्रयोग से बचें।
निष्कर्ष
जीवित मिट्टी ही टिकाऊ कृषि की नींव है। सूक्ष्मजीवों और जैविक प्रबंधन के माध्यम से उत्पादन बढ़ाया जा सकता है और भूमि की उर्वरता लंबे समय तक बनाए रखी जा सकती है।