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  • टिशू कल्चर क्या है?

    टिशू कल्चर क्या है?

    Posted on : 18 Feb 2025 By : Agri Search (India) Pvt. Ltd.

    टिशू कल्चर में पौधों के ऊतकों, जैसे पत्तियों के कटिंग, तना कोशिकाओं, या जड़ संस्कृतियों को पोषक तत्वों से भरपूर माध्यम में नियंत्रित स्थितियों में उगाना शामिल है। इन छोटे नमूनों को अलग करके और बढ़ाकर, वैज्ञानिक पूरे पौधों को फिर से उत्पन्न कर सकते हैं, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता और उच्च उत्पादन जैसी इच्छित विशेषताएँ बनाए रखी जाती हैं। इस विधि को आमतौर पर माइक्रोप्रोपैगेशन कहा जाता है।

    टिशू कल्चर क्यों महत्वपूर्ण है?

    1. तेजी से पौधों का पुनरुत्पादन: टिशू कल्चर का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें बहुत कम समय में जीन से मिलते-जुलते पौधों की बड़ी संख्या उत्पन्न की जा सकती है। यह विशेष रूप से उच्च गुणवत्ता वाले फसलों का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने के लिए उपयोगी है, जैसे कि केला, ऑर्किड, और आलू।
    2. रोग मुक्त पौधे: टिशू कल्चर परंपरागत बीज आधारित पुनरुत्पादन में मौजूद रोगजनकों को समाप्त करके रोग मुक्त पौधों का उत्पादन करने में मदद करता है। इससे पौधों की सेहत में सुधार होता है और उत्पादन अधिक प्रभावी होता है।
    3. दुर्लभ प्रजातियों का संरक्षण: संकटग्रस्त या दुर्लभ पौधों की प्रजातियों के लिए, टिशू कल्चर दीर्घकालिक संरक्षण का एक तरीका प्रदान करता है। यह उन पौधों के पुनरुत्पादन को सुनिश्चित करता है जो जंगली में आसानी से पुनरुत्पन्न नहीं हो पाते हैं।
    4. आनुवंशिक सुधार: टिशू कल्चर के माध्यम से सटीक आनुवंशिक सुधार किया जा सकता है, जिससे बेहतर विशेषताओं वाले पौधे उत्पन्न होते हैं, जैसे कि कीटों, सूखा और रोगों के प्रति बेहतर प्रतिरोध।