पोषक तत्व लीचिंग: मिट्टी और फसल की सेहत के लिए एक छिपा खतरा
आधुनिक खेती में एक चुपचाप होने वाली समस्या जो अक्सर अनदेखी रह जाती है, वह है पोषक तत्व लीचिंग। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो मिट्टी से महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की हानि का कारण बनती है, जिससे फसल की उत्पादकता घटती है और उर्वरक लागत बढ़ती है। आइए समझते हैं कि यह क्या है, क्यों होती है और किसान इसे कैसे नियंत्रित कर सकते हैं।
पोषक तत्व लीचिंग क्या है?
जब वर्षा या सिंचाई का पानी मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों को घोलकर जड़ों की पहुँच से नीचे तक बहा ले जाता है, तब उसे लीचिंग कहा जाता है। यह प्रक्रिया विशेष रूप से नाइट्रोजन (N), पोटेशियम (K) और सल्फर (S) जैसे जल में घुलनशील पोषक तत्वों के साथ अधिक होती है।
लीचिंग क्यों होती है?
लीचिंग मुख्य रूप से इन परिस्थितियों में होती है:
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रेतीली मिट्टी, जो जल्दी पानी छोड़ देती है
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अधिक सिंचित खेत, जहाँ पानी तेज़ी से बहता है
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अत्यधिक वर्षा वाले क्षेत्र
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जहाँ उर्वरक अधिक मात्रा में डाला गया हो
इन परिस्थितियों में पौधों को पोषक तत्वों को अवशोषित करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता और वे पानी के साथ बह जाते हैं।
लीचिंग के प्रभाव
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पोषक तत्वों की हानि: पौधों को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिलते
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कम उपज: पोषक तत्वों की कमी से फसल की मात्रा और गुणवत्ता दोनों प्रभावित होती हैं
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आर्थिक नुकसान: किसान को बार-बार उर्वरक डालना पड़ता है जिससे खर्च बढ़ता है
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पर्यावरणीय नुकसान: विशेष रूप से नाइट्रेट्स जैसे तत्व भूमिगत जल और नदियों को प्रदूषित करते हैं
लीचिंग को कैसे कम करें?
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ऐसे उर्वरक उपयोग करें जो धीरे-धीरे पोषक तत्व छोड़ें
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उर्वरक को एक बार में देने के बजाय छोटे-छोटे भागों में दें
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ड्रिप सिंचाई अपनाएँ ताकि पानी की मात्रा नियंत्रित रहे
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खाद या जैविक तत्व डालकर मिट्टी में जैविक पदार्थ बढ़ाएँ
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ऑफ-सीजन में कवर फसलें उगाएँ ताकि पोषक तत्व मिट्टी में बने रहें