ब्लॉग डिटेल

  • कैल्केरियस मिट्टी की मुख्य समस्याएं और उनके समाधान

    कैल्केरियस मिट्टी की मुख्य समस्याएं और उनके समाधान

    Posted on : 29 Sep 2025 By : Agri Search (India) Pvt. Ltd

    कैल्केरियस मिट्टी की मुख्य समस्याएं और उनके समाधान

    फसल की पैदावार पूरी तरह मिट्टी की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। लेकिन कुछ प्रकार की मिट्टियाँ किसानों के लिए बड़ी चुनौती बन जाती हैं। उनमें से एक है कैल्केरियस मिट्टी। यह मिट्टी कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO₃) से भरपूर होती है और आमतौर पर शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाई जाती है। इसका pH स्तर अधिक (लगभग 7.8 से 8.5 या उससे ज्यादा) होता है, जो पोषक तत्वों की उपलब्धता, जड़ वृद्धि और पौधों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

    बाहर से देखने पर यह मिट्टी उपजाऊ लगती है, लेकिन उचित प्रबंधन के बिना फसल की वृद्धि सीमित रहती है। नीचे कैल्केरियस मिट्टी की प्रमुख समस्याएं और वैज्ञानिक समाधान दिए गए हैं।


    1. पोषक तत्वों का लॉक होना और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी
    कैल्केरियस मिट्टी में कई आवश्यक पोषक तत्व पौधों के लिए अनुपलब्ध हो जाते हैं। लोहा (Fe), जिंक (Zn), मैंगनीज (Mn), और कॉपर (Cu) कैल्शियम कार्बोनेट के साथ प्रतिक्रिया करके अविलेय यौगिक बना लेते हैं। इस कारण पौधे इन्हें अवशोषित नहीं कर पाते।

    नतीजतन, पौधों में निम्न लक्षण दिखाई देते हैं:

    • लोहा की कमी: नई पत्तियों का पीला होना (इंटरवेनल क्लोरोसिस)

    • जिंक की कमी: छोटे पत्ते, धीमी वृद्धि

    • मैंगनीज की कमी: हल्की पत्तियां और हरी शिराएं


    2. उच्च pH पोषक तत्वों की उपलब्धता कम करता है
    कैल्केरियस मिट्टी का उच्च pH कई पोषक तत्वों की घुलनशीलता को कम कर देता है। अधिकांश सूक्ष्म तत्व थोड़ी अम्लीय या तटस्थ मिट्टी (pH 6.0–7.0) में अधिक उपलब्ध होते हैं। क्षारीय स्थिति में ये स्थिर हो जाते हैं।

    इसके अलावा, अधिक pH लाभकारी सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को भी धीमा कर देता है, जिससे पोषक तत्वों का प्राकृतिक चक्र बाधित होता है।


    3. फॉस्फोरस का स्थिरीकरण
    फॉस्फोरस (P) जड़ विकास और फूल बनने के लिए आवश्यक है। लेकिन कैल्केरियस मिट्टी में यह कैल्शियम के साथ प्रतिक्रिया करके कैल्शियम फॉस्फेट यौगिकों में बदल जाता है, जो पौधों के लिए अनुपलब्ध होते हैं।

    इससे फॉस्फोरस की उपयोग दक्षता केवल 10–20% तक रह जाती है और पौधों की जड़ वृद्धि प्रभावित होती है।


    4. कठोर मिट्टी और जल निकासी में कमी
    कैल्केरियस मिट्टी अक्सर कठोर और सघन होती है। सूखी अवस्था में यह सतही परत (क्रस्ट) बना लेती है, जिससे बीज अंकुरण रुक जाता है और पानी मिट्टी में नहीं जा पाता।

    इस कारण जड़ें पानी तक नहीं पहुंच पातीं और सिंचाई के बावजूद पौधे जल तनाव का सामना करते हैं।


    5. सूक्ष्मजीव गतिविधि में कमी
    मिट्टी के सूक्ष्मजीव पोषक तत्वों के चक्र और जैविक पदार्थों के अपघटन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन क्षारीय परिस्थितियों में उनकी गतिविधि कम हो जाती है। नतीजतन, मिट्टी की उर्वरता घट जाती है और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता बढ़ जाती है।


    6. कुछ फसलें अधिक संवेदनशील होती हैं
    साइट्रस, अनार, सोयाबीन, चना, मूंगफली जैसी फसलें कैल्केरियस मिट्टी में लोहे और जिंक की कमी के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। पत्तियों का पीला होना, फूलों की कमी, छोटे फल और कम उत्पादन आम लक्षण हैं।


    कैल्केरियस मिट्टी प्रबंधन के उपाय

    • जैविक पदार्थ मिलाएं: कम्पोस्ट या गोबर की खाद मिट्टी की संरचना सुधारती है।

    • अम्लीय संशोधन करें: सल्फर या जैविक अम्ल pH को कम करते हैं और पोषक तत्वों को उपलब्ध बनाते हैं।

    • फोलियर स्प्रे करें: लोहे और जिंक जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की पत्तियों पर फवारणी करें।

    • फॉस्फोरस को जड़ क्षेत्र में डालें: इससे स्थिरीकरण कम होता है और उपयोग बढ़ता है।

    • मिट्टी की नियमित जांच करें: पोषक तत्वों का स्तर जानें और सही मात्रा में उर्वरक दें।