इथेनॉल के लिए मक्का: भारतीय किसानों के लिए एक नया अवसर
भारतीय कृषि में एक शांत लेकिन महत्वपूर्ण बदलाव देखा जा रहा है। अब कई किसान पारंपरिक तिलहनों की फसलों जैसे कि सोयाबीन और मूंगफली की जगह मक्का की खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं।
इस बदलाव के पीछे की प्रमुख वजह है – इथेनॉल का उत्पादन।
मक्का और इथेनॉल के बीच क्या संबंध है?
इथेनॉल एक स्वच्छ और पर्यावरण-अनुकूल ईंधन है, जिसे मक्का जैसी फसलों से तैयार किया जा सकता है। भारत सरकार पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण को बढ़ावा दे रही है, ताकि तेल आयात पर निर्भरता कम हो और पर्यावरण की भी रक्षा हो सके।
बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए इथेनॉल निर्माण करने वाली इकाइयाँ मक्के की खरीद के लिए आकर्षक मूल्य दे रही हैं। इससे किसानों के लिए एक नया और स्थिर आय का स्रोत बन रहा है।
किसान तिलहनों की बजाय मक्का को क्यों चुन रहे हैं?
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तिलहनों की तुलना में अधिक और स्थिर लाभ
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कम उत्पादन लागत
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बाजार में कम दाम उतार-चढ़ाव
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सूखा सहनशीलता और अधिक क्षेत्र में उपयुक्तता
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इथेनॉल और जैव-ईंधन क्षेत्र को सरकारी समर्थन
भारतीय कृषि में रणनीतिक बदलाव
यह सिर्फ फसल बदलने का निर्णय नहीं है, बल्कि यह बाजार और नीतिगत बदलावों के प्रति एक रणनीतिक प्रतिक्रिया है।
हालांकि इथेनॉल-आधारित अर्थव्यवस्था से किसानों को लाभ हो सकता है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बहुत अधिक किसान तिलहन फसलों को छोड़ देंगे, तो भारत की खाद्य तेलों पर आयात निर्भरता बढ़ सकती है। इसलिए, संतुलित फसल प्रणाली का अपनाना दीर्घकालिक स्थिरता के लिए जरूरी है।