ड्रैगन फ्रूट की खेती: भारतीय किसानों के लिए लाभदायक फसल
ड्रैगन फ्रूट की खेती भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रही है, इसका कारण है इसकी उच्च बाजार मांग, आकर्षक रंग-रूप और बेहतरीन स्वास्थ्य लाभ। पिटाया के नाम से भी जाना जाने वाला यह विदेशी फल कैक्टस परिवार से संबंधित है और शुष्क एवं अर्ध-शुष्क जलवायु में अच्छी तरह पनपता है, जिससे यह भारत के कई क्षेत्रों के लिए उपयुक्त फसल बन गई है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती क्यों करें?
उच्च लाभ: ड्रैगन फ्रूट की घरेलू और निर्यात बाजार में मजबूत मांग है और यह अच्छे दामों पर बिकता है।
कम देखभाल: इसे कम पानी की जरूरत होती है, कीटनाशकों की आवश्यकता कम होती है और यह सूखा सहन कर सकता है।
सालभर आय: एक बार स्थापित हो जाने पर यह पौधा साल में कई बार फल दे सकता है।
स्वास्थ्य के प्रति रुचि: एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन और फाइबर से भरपूर होने के कारण यह स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बाजारों में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए आवश्यकताएँ
जलवायु: 20–35°C के गर्म तापमान में बेहतर बढ़ता है और सूखा सहन करने की क्षमता रखता है।
मिट्टी: अच्छे जलनिकास वाली बलुई दोमट से दोमट मिट्टी जिसमें pH 5.5–7 हो, सबसे उपयुक्त रहती है।
सपोर्ट स्ट्रक्चर: पौधों को चढ़ने के लिए मजबूत खंभों (सीमेंट या लकड़ी के) की जरूरत होती है।
प्रसारण: तेज़ उत्पादन के लिए अधिकतर पौधे डंठल की कटिंग से लगाए जाते हैं।
सिंचाई: ड्रिप सिंचाई प्रणाली सबसे बेहतर है और जड़ों के अच्छे विकास में सहायक होती है।
सफल खेती के लिए सुझाव
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पौधों में उचित दूरी रखें ताकि सूर्य का प्रकाश और हवा दोनों मिल सकें।
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जैविक खाद और संतुलित पोषक तत्वों का नियमित रूप से प्रयोग करें।
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अत्यधिक शाखाओं की छंटाई करें ताकि फूल और फलों का आकार बेहतर हो।
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पक्षियों और कीटों से फूलों व फलों की सुरक्षा के लिए नेटिंग का प्रयोग करें।
उत्पादन और लाभ
एक अच्छी तरह से रखी गई ड्रैगन फ्रूट की बागवानी पहले साल से ही उत्पादन देना शुरू कर देती है और तीसरे साल में अधिकतम उत्पादन तक पहुँच जाती है। किसान एक एकड़ में सालाना लगभग 10–15 टन तक उत्पादन कर सकते हैं (प्रबंधन और किस्म पर निर्भर करता है)। सही मार्केटिंग के साथ, ड्रैगन फ्रूट की खेती से ₹3–5 लाख प्रति एकड़ तक का शुद्ध लाभ कमाया जा सकता है।